नफरत का Digital मंच

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इसके पीछे का कारण जानते हैं पहले 

सोशल मीडिया हमारे अवचेतन पर निरंतर प्रहार कर हमें हिंसा और घृणा का अभ्यस्त बना रहा है। हिंसा के विचार को आचरण में लाने की प्रवृत्ति बढ़ी है। भारत का संवेदनशील नागरिक समाज क्लब हाउस, सुल्ली डील और बुल्ली बाई जैसे एप की विक्षिप्त मानसिकता और ठंडी नृशंसता के सदमे से अभी बाहर भी नहीं आ पाया था कि स्वयं को भारत का ट्रेड्स (Traditionalist) कहने वाले हजारों युवक-युवतियों की मानसिक विकृतियों का खुलासा हुआ जो एक विशाल और लगभग अदृश्य ऑनलाइन हिंसक समुदाय का निर्माण करते हैं।भारत के ट्रेड्स अपनी प्रोफाइल पिक्चर के लिए कुछ खास छवियों का उपयोग करते हैं, भगवान राम जी की भयोत्पादक भाव भंगिमाओं वाले चित्र अथवा हनुमान जी की क्रुद्ध छवियां प्रोफाइल पिक्चर के रूप में इनकी पसंदीदा हैं। यह प्रायः ‘चड गाय’ मीम का उपयोग भी प्रोफाइल पिक्चर के रूप में करते हैं, इंटरनेट में उपयोग होने वाली बोलचाल की अपरिष्कृत भाषा में ‘चड गाय’ जेनेटिक रूप से सर्वश्रेष्ठ अल्फा मेल के लिए प्रयुक्त होता है। चाहे वह क्लब हाउस, सुल्ली डील और बुल्ली बाई जैसे एप हों अथवा टेकफॉग के आपराधिक षड्यंत्र हों या ट्रेड्स की गतिविधियां हों, सरकारी एजेंसियां इनकी पहचान करने एवं इनके विरुद्ध कार्रवाई करने में अपेक्षित तत्परता दिखाने में नाकाम रही हैं। घृणा, हिंसा और अविवेक को जब आपराधिक तकनीकी कुशलता और शासकीय संरक्षण मिल जाता है तब इनका प्रसार अकल्पनीय गति से होने लगता है। भाजपा हिंसक हिंदुत्व की डरावनी दुनिया का आकर्षक प्रवेश द्वार है जहाँ आगंतुकों को भ्रम में डालने वाले नारे लिखे हुए हैं - सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास आदि आदि। किंतु इस प्रवेश द्वार के अंदर के जगत का सच एकदम उल्टा है। पता नहीं यह सामान्य सा सच किसी की समझ में क्यों नहीं आ रहा कि हिंसा और नफरत की आग सब कुछ जला डालेगी, वह आग लगाने और भड़काने वालों के साथ कोई रियायत नहीं करेगी।
अहिंसा ही स्थाई शांति एकजुटता का स्रोत हो सकती है !

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