क्या कांग्रेस में बदलाव की शुरुआत हो चुकी है?
कांग्रेस पर परिवारवाद का आरोप लगाने वाले कांग्रेस विरोधियों को निराश करते हुए पार्टी के अध्यक्ष पद का बहुप्रतीक्षित और बहुचर्चित चुनाव अंततः लोकतांत्रिक रीति से सफलतापूर्वक संपन्न हो गया और मल्लिकार्जुन खड़गे के रूप में कांग्रेस को एक नया अध्यक्ष मिल गया जिसके साथ तीन विशेषण प्रेक्षकों को अभी से जोड़ने पड़े हैं- अनुभवी, दलित और गैर गांधी किंतु गांधी परिवार समर्थित। कांग्रेस के अध्यक्ष पद का चुनाव घटनाप्रधान और हंगामाखेज रहा, जैसी कल्पना थी कि यह निर्विरोध संपन्न होगा या कठोर पार्टी अनुशासन से भयभीत मतदाता यांत्रिक भाव से आलाकमान की पसंद पर मुहर लगा देंगे वैसा बिलकुल नहीं हुआ। पराजित प्रत्याशी शशि थरूर अपनी वैचारिक असहमतियों और परिवर्तन के एजेंडे के साथ अंत तक डटे रहे। मल्लिकार्जुन खड़गे से पहले थरूर के प्रतिद्वंद्वी के रूप में चर्चित अशोक गहलोत की निजी महत्वाकांक्षाओं के कारण उत्पन्न विवाद ने जितनी चिंता कांग्रेस समर्थकों में पैदा की उससे अधिक संतोष इस प्रकरण के बुद्धिमत्तापूर्ण और सहज पटाक्षेप ने उन्हें दिया। चुनाव प्रक्रिया और मतदान को लेकर शशि थरूर की आपत्तियां भी यह सिद...